बीजेपी ने आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर अपनी रणनीति में परिवर्तन करते हुए 'कटेंगे तो कटेंगे' का नारा अपनाया है, जिसे पहले हरियाणा में सफलता मिली थी। यह नारा जाति के मुद्दों के मुकाबले हिंदुत्व को आगे बढ़ाने का एक प्रयास है। आगामी चुनावों में पार्टी ने पाया कि अगर लड़ाई जातियों पर आती है तो विपक्ष भारी पड़ सकता है। इसलिए, बीजेपी ने हिंदुत्व को अपने मुख्य आधार के रूप में चुना। आरएसएस ने इस नारे के जरिए एकजुटता का संदेश देना चाहा है। यह नारा महज़ तीन शब्द नहीं हैं, बल्कि ये भारतीय राजनीति की एक नई दिशा का प्रतीक है। बीते चुनावों में हरियाणा में मिली सफलता के बाद बीजेपी अब इसे महाराष्ट्र में भी रणनीतिक तरीके से लागू कर रही है। इस अभियान का उद्देश्य जाति राजनीति के खिलाफ एक सामूहिक हिंदुत्व का दिखावा करना है। हरियाणा में बीजेपी की जीत ने उनको यह समझाया कि हिंदुत्व के बैनर तले चुनाव लड़ना ज्यादा सफल हो सकता है। संघ ने राहुल गांधी को भी इस संदर्भ में 'मोहब्बत का संदेश' भेजा, जिससे उनकी कांग्रेस पर दबाव बढ़ता दिख रहा है। बीजेपी की इस नई रणनीति के साथ-साथ, राहुल गांधी की प्रतिक्रिया पर भी सबकी नज़रें जमी हुई हैं।
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10/27/2024
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